प्लेटलेट्स की कमी स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है। सामान्यतः, प्लेटलेट्स की संख्या अगर 50 हजार से नीचे चली जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। डेंगू एक ऐसा रोग है जो इस समस्या का एक प्रमुख कारण बन सकता है, लेकिन इसके अलावा भी अन्य स्थितियाँ हैं जो प्लेटलेट्स की कमी का कारण बन सकती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि प्लेटलेट्स की कमी किस कारण होती है और इसके लक्षण क्या होते हैं।

प्लेटलेट्स की कमी के कारण

डेंगू: डेंगू एक मौसमी बुखार है जो प्लेटलेट्स की संख्या को तेजी से घटा सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है जो मरीज के शरीर को बुरी तरह प्रभावित करती है और कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है, ताकि प्लेटलेट्स की संख्या नियंत्रित रह सके।

इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पुरपुरा: डेंगू के अलावा, प्लेटलेट्स की कमी का एक अन्य कारण इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया पुरपुरा (ITP) है। यह एक रक्त संबंधित बीमारी है, जिसमें शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। इस बीमारी के कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी इसका कारण हो सकती है।

पहचान कैसे करें?

यदि आपको डेंगू नहीं हुआ है और फिर भी आपके प्लेटलेट्स काउंट्स में गिरावट आ रही है, तो आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया में प्लेटलेट्स की संख्या 1 लाख से नीचे जा सकती है। यह बीमारी अपेक्षाकृत दुर्लभ होती है और सीबीसी (कंप्लीट ब्लड काउंट) टेस्ट के माध्यम से इसका पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ दवाओं की मदद से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण

  • त्वचा पर दाने और रैशेज: त्वचा पर अचानक लाल चकत्ते या दाने दिखाई देना।
  • मसूड़ों से खून बहना: मसूड़ों से खून आने की समस्या होना।
  • नाक और मुंह से खून बहना: नाक या मुंह से खून आना।
  • जोड़ों में दर्द: घुटनों और कोहनी में दर्द महसूस होना।
  • अत्यधिक थकान: शरीर में अत्यधिक थकावट का अनुभव होना।
  • भारी मासिक धर्म: मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होना।

निष्कर्ष

प्लेटलेट्स की कमी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। डेंगू और इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया जैसी बीमारियों के कारण प्लेटलेट्स की संख्या घट सकती है, जिससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है। अगर आप इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव कर रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें और तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें। अपने आहार में महत्वपूर्ण बदलाव करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लें। वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर व्यक्तिगत सलाह प्रदान कर सकते हैं।

नोट: यदि आपके पास कोई स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, तो कृपया हमें +91-9058577992 पर कॉल करें ताकि हमारे अनुभवी डॉक्टर से मुफ्त परामर्श प्राप्त कर सकें। धन्यवाद।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version